मकर संक्रांति भारत के सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है, और इसका सीधा संबंध सूर्य, ऋतु परिवर्तन, और कृषि से है।
मकर संक्रांति मनाने के कारण
- सूर्य का मकर राशि में प्रवेश
इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है। यह सूर्य के उत्तरायण (उत्तर की ओर गमन) का प्रतीक है, जो शुभ कार्यों की शुरुआत का समय माना जाता है। - ऋतु परिवर्तन और नई शुरुआत
मकर संक्रांति शीत ऋतु के अंत और बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देती है। यह समय फसलों की कटाई का है, जिससे किसान नई फसल की खुशी मनाते हैं। - धार्मिक महत्व
- इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, और सूर्य पूजा का विशेष महत्व है।
- महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के लिए उत्तरायण का इंतजार किया था, क्योंकि इसे मोक्ष प्राप्ति का समय माना जाता है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक एकता
- लोग तिल-गुड़, खिचड़ी, और अन्य पारंपरिक पकवान बनाते हैं और आपस में बांटते हैं।
- पतंगबाजी जैसे मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से लोग मिलकर उत्सव मनाते हैं।
मकर संक्रांति का संदेश
यह त्योहार हमें प्रकृति का सम्मान, सामाजिक एकता, और सकारात्मक ऊर्जा की ओर प्रेरित करता है। यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जीवन में आशा और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।