90 के दशक में बॉलीवुड की ग्लैमर और चकाचौंध भरी दुनिया का बड़ा नाम ममता कुलकर्णी आज एक साध्वी बन चुकी हैं। उनकी ज़िंदगी का यह सफर, जो फिल्मी दुनिया से अध्यात्म की ओर मुड़ा, कई लोगों को हैरान कर देने वाला है।
बॉलीवुड का सफर
ममता कुलकर्णी ने 1992 में फिल्म “तिरंगा” से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। अपनी पहली फिल्म से ही उन्होंने दर्शकों के बीच खास पहचान बना ली। इसके बाद “करण अर्जुन”, “बाजी”, और “आशिक आवारा” जैसी हिट फिल्मों में अपनी अदाकारी से उन्होंने फैंस का दिल जीता। अपनी बोल्ड छवि और शानदार अभिनय के लिए मशहूर ममता का करियर तेजी से बढ़ा। लेकिन 2000 के दशक के बाद उन्होंने अचानक फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया।
विवाद और मुश्किलें
फिल्मों से दूर होने के बाद ममता का नाम कई विवादों से जुड़ा। ड्रग्स मामलों और उनके निजी जीवन को लेकर कई बार सुर्खियां बनीं। हालांकि, ममता ने इन विवादों को अपने जीवन से दूर रखने का फैसला किया और एक नए रास्ते पर चल पड़ीं।
अध्यात्म की ओर रुझान
फिल्मी ग्लैमर छोड़कर ममता ने सनातन धर्म की ओर रुख किया। उन्होंने खुद को अध्यात्म में डुबो दिया और साध्वी के रूप में अपनी नई पहचान बनाई। आज ममता भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहती हैं और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रही हैं। उनका कहना है कि इस राह पर चलकर उन्हें वह शांति और सुकून मिला, जो उन्हें बॉलीवुड की चकाचौंध में कभी नहीं मिला।
बदलाव की प्रेरणा
ममता कुलकर्णी की कहानी यह बताती है कि इंसान चाहे कितना भी बड़ा या प्रसिद्ध क्यों न हो, सच्चा सुकून और खुशी केवल आत्मिक शांति में मिलती है। उनकी ज़िंदगी का यह बदलाव हर किसी के लिए एक बड़ी प्रेरणा है कि जीवन में किसी भी मोड़ पर नई शुरुआत की जा सकती है।
ममता अब अध्यात्म के जरिए समाज को यह संदेश देती हैं कि असली खुशी बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन में है।
उनका सफर इस बात का उदाहरण है कि सही दिशा और दृढ़ इच्छाशक्ति से जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।